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13 Jun 2023 · 1 min read

जीवन दीन क्षीण हीन

स्वर्ण पींजड़ा
चमकविहीन।
महसुस करता
पंखविहीन।
नभ पे डालता दृष्टि
कितनी अनुपम सृष्टि
गृह शोभा को बंधे
कुल महत्वहीन।
दुःख व्याप्तिकरण
रोष प्रकटिकरण
मन मलिन ।
भाग्य का योग
परिवार से वियोग
जीवन दीन क्षीण हीन ।

Language: Hindi
145 Views
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