जीवन दर्शन
कुछ मत सोचो
जीवन की सरिता को बहते जाने दो
लहरों से मत नाता जोड़ो
उनको सागर का संगीत बनाने दो।
जो कुछ है
तुम्हे स्वयम ही मिलता जाएगा
राही नहीं थकेंगे पथ पर
राह कभी न थाह स्वयम की पायेगा।
कुछ मत सोचो
जीवन की सरिता को बहते जाने दो
लहरों से मत नाता जोड़ो
उनको सागर का संगीत बनाने दो।
पल पल की नौका
जीवन सागर में चलती है
पवन के झोंकों से झुकती
फिर सम्भल के राह पकड़ती है।
वह पार लगे या डूबे
गहरे सागर में
कहीं भी हो पर
उसको मन्ज़िल मिलती है।
अचल रहो तुम
मत विचलित हो बातों से
बहते जाओ मन्ज़िल को खुद आने दो।
कुछ मत सोचो
जीवन की सरिता को बहते जाने दो
लहरों से मत नाता जोड़ो
उनको सागर का संगीत बनाने दो।
विपिन शर्मा