जीवन दर्शन
24. जीवन-दर्शन
गलियों के नुक्कड़ में , आँधी के छप्पर में ,
ऊसर की खेती में , मरुधर की रेती में ,
जीवन का दर्शन है ।
शहरी फुटपाथों में , बेघर अनाथों में,
सब्जी के ठेलों में , गॉव के मेलों में
जीवन का दर्शन है ।
बगिया के फूलों में , घंटे त्रिशूलों में,
रास्ते अनजान में , मस्ज़िद अज़ान में ,
जीवन का दर्शन है
नदियों में नालों में , यौवन के गालों में,
बारिश के पानी में, मौज़े तूफानी में,
जीवन का दर्शन है ।
शबरी के बेरों में , कूड़े के ढेरों में,
गाय और गोरू में , गरीब की जोरू में,
जीवन का दर्शन है ।
मुन्ने के पलने में , बहुओं के जलने में,
बूढ़े की पेंशन में , विधवा की धड़कन में,
जीवन का दर्शन है ।
गरीब की आह में , साहब की वाह में,
नदिया की थाह में , बरगद की छाँह में,
जीवन का दर्शन है ।
महलों और कारों में , बड़ी बड़ी बारों में,
मदिरा के प्यालों में, गटर और नालों में,
जीवन का दर्शन है ।
कूड़े के ढेरों में , शायर के शेरों में,
मदमाती सरिता में , कवियों की कविता में,
जीवन का दर्शन है ।
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प्रकाश चंद्र , लखनऊ
IRPS (Retd)