जीवन दर्शन गुरु रैदास जी
समझ तो अपनी ही *काम आयेगी,
धरातल पर जब वो *बाहर आयेगी.
बात सियासती कब समझ आयेगी.
आग जब घर के चूल्हे तक आयेगी.
मत बैठ पलडो में, तोल(मात्रक) है तू
पग पग पर खडे है *द्वंद और *द्वैत ,
बनेगा निर्णायक तभी समझ आयेगी.
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कब तक खाते रहेगा धोखे छल कपट,
ईर्ष्या किस बात की, अहं किस बात के,
तेरा प्रतिद्वंदी कौन, खुद से पहले सुलझ.
सुलह तू समाधान तू कराधान भी तू.
मत कर भरोसे, ले संज्ञान खुद ही से.
गधला है तू निथार निथर, महीन स्वच्छ.
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दाता है तू ,देवता है तू , साकार तू निराकार तू.
पाहन तू पारस तू महेन्द्र तू ही हंस है.
सतत विचारवान विद्यमान प्रहरी सौदागर तू.
सच्चे सौदे करता है तू ,तू ही गरीब निज़ाम.
बीज तू ही, मूल वही, खामेखां बने खाते बही.
लेखक तू ही पाठक तू *सिख *शिक्षक तू ही.
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महेन्द्र सिंह हंस.