जीवन डगर के ओ सहचर
जीवन डगर के ओ सहचर,
पहचान मेरी तुमसे प्रियवर।
मेरे सिर की छत तुमसे है,
मैं तेरी ही छाया सहचर।
प्रीति से अपनी बना ये घर,
मेरे सहचर मेरे प्रियवर ।
सुख दुःख के मेरे साथी हो,
तुम प्रीत भरी एक पाती हो।
तुम लाड़ प्यार संसार सकल,
मेरे सहचर मेरे प्रियवर ।
तुम तीखी मीठी डांट भी हो,
अनुहार भी हो मनुहार भी हो।
मम जीवन का आह्लाद सतत,
मेरे सहचर मेरे प्रियवर ।
हम जीते या हारे जग में,
विश्वास परस्पर सदा सदृढ़।
ये प्रीत गढ़े प्रतिमान प्रवर
मेरे सहचर मेरे प्रियवर ।
प्रभु दे तुमको आनन्द घने,
सुख की चिर संचित राशि घनी।
तुम जीत बनो हर हार को वर,
मेरे सहचर मेरे प्रियवर ।