जीवन जीने का ढंग – रविकेश झा
आप चाहे खुश हो कोई चीज को लेकर, वास्तव में वहां कुछ होता नहीं बस आप मान लेते है, ये आपको कामना के साथ करुणा करवाता है । आप चाहे तो अपने हृदय को जान सकते है, प्रेम और करुणा के माध्यम से, लेकिन ये तभी काम करता है जब आप स्वयं में उतरने के लिए त्यार हो, अवचेतन मन को जानने का प्रयास करें, मैं तीन रास्ता बताया हु, कर्म, धर्म, जागरूकता, यानी ध्यान, देखना, स्वयं के प्रति ईमानदारी, ये तीनो रास्ता आपको जीवंत बना देगा, आप कुछ जायदा नहीं करना है, बस शांति अवस्था में बैठना है, देखना है अपने आस पास, संदेह करना है अगर जानना है तो, संदेह ही आपको श्रद्धा में दुबाएगा, लेकिन उसके लिए वक्त लगेगा, आप धीरे धीरे सब जानने में सक्षम हो सकते है, जीवन आपका है जानेगा कौन, आपको जानना है।
अभी हृदय में कुछ पनप नहीं रहा होगा, उसका कारण भी आप स्वयं है, अगर आप कर्म कर रहे है करते रहे, फल की चिंता न करें, आपको कर्म में खुशी नहीं हो रहा तो फल में भी नहीं होगा, अगर आप सिर्फ कर्म कर थे और कोई आशा नहीं है फिर आप जीवंत है, यहां पर संतुष्टि की बात करूंगा, आप सिर्फ कर्म के माध्यम से भी 0 तक पहुंच सकते है, बस आपको देखना है आंखे खोल कर, बस जल्दी मान नहीं लेना है, जानते जाना है, धीरे धीरे आपको जीवन सार्थक दिखता जायेगा,
अगर धार्मिक है तो पूजा करें प्राथना करें, और साथ में ध्यान रखे ये किसके लिए कर रहे है, क्यूं कर रहे है, किसके लिए आखिर, भय के लिए लोभ के लिए पद के लिए या प्रतिष्ठा के लिए, संदेह करना होगा, आपको स्वयं के प्रति,
फिर आपसे बड़ा कोई धार्मिक नहीं होगा, पूर्ण धार्मिक हृदय में मिलेगा आपको,
वही अगर संदेह कर रहे है , संदेह के प्रति भी संदेह होना चाहिए, ये संदेह करने वाला कौन है, ये आंखे मानने को अब त्यार नहीं, क्योंकि श्रद्धा नहीं हो रहा है, इसमेें आप जागरूकता से देख सकते है,
जागरूक आपको संदेह से श्रद्धा तक ले जायेगा, ध्यान और प्रेम ये दो रास्ता आसान है, तीसरा कर्म को थोड़ा समय लगेगा , लेकिन जागरूकता से आप उसे भी देख सकते है,
बस चौबीस घंटे में कभी भी जो सामने है उसको देखिए, विचार आ रहा है इसको देखिए, बस देखना है कहां से आ रहा है, आप चकित होंगे फल देख कर।
धन्यवाद।
रविकेश झा।