जीवन
जीवन जीने का तभी, मन में उठा सवाल।
जब आईने में नजर, आया उजला बाल।।
आया उजला बाल, नहीं पहले देखा था।
जमा कई थे ख्वाब, उदासी की रेखा था।
सोच रही हूँ आज, मिले कोई संजीवन।
करूँ सही से खर्च, नहीं जीया जो जीवन।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
जीवन जीने का तभी, मन में उठा सवाल।
जब आईने में नजर, आया उजला बाल।।
आया उजला बाल, नहीं पहले देखा था।
जमा कई थे ख्वाब, उदासी की रेखा था।
सोच रही हूँ आज, मिले कोई संजीवन।
करूँ सही से खर्च, नहीं जीया जो जीवन।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली