जीवन जीना सीखिए
जीवन जीना सीखिए
वह कहानी सभी को पता है कि एक नाव में एक नया नया विद्वान बैठता है। वह नाव चलाने वाले को सवाल पूँछता है कि तुम ने यह पुस्तक पढ़ी, नाव वाला कहता है नही, वह विद्वान कहता है कि आपकी आधी ज़िंदगी आपने गंवा दी। सिलसिला जारी रहता है। नदी में तूफान आता है। नाव वाला उस विद्वान को पूँछता है कि आपको तैरना आता है? विद्वान कहता है – नही । इस पर नाव चलाने वाला कहता है कि तुम्हारा तो पूरा जीवन व्यर्थ हो गया।
आपकी सारी सफलता, यश, दौलत, नाम सब व्यर्थ है जब तक आप जीवन जीना नही सीखते। सबसे पहले जीवन जीना सिखों।
गीता भी कहती है कर्म के बिना ज्ञान अधूरा है और सबसे पहला ज्ञान जीवन को जीना।
सब भाग दौड़ में इतने व्यस्त हो गए हैं कि जीवन जीना ही भूल गए है। वर्तमान में इस क्षण का आनंद लेते है, जो है उसके लिए धन्यवाद कहते है।
आनंदश्री
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