जीवन चलने का नाम
“जीवन चलने का नाम।”
जीवन चलने का नाम ही तो है
और चलना प्रगति की निशानी है,
तू चलता चल अपने पथ पर…|
बिना रुके -बिना डरे,
अपने लक्ष्य को करके लक्ष्य,
तू चलता चल… बढ़ता चल,
विचलित कभी ना होना तुम
तू चलता चल अपने पथ पर…|
राह में मिलेंगे अगणित राही
कुछ पग तक वो साथ भी देंगे,
बीच राह में छोड़ कर तुझको
अपनी राह अलग कर लेंगे,
पर,तू चलता चल अपने पथ पर.|
मन में निराशा आने ना देना
आशा की जोत जलाये रखना,
लक्षित लक्ष्य पास है तेरे
हिम्मत कर…आगे बढ़ और
बाहों में भर ले अपने इस आकाश को,
तू चलता चल अपने पथ पर..|
जीवन चलने का नाम है….||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
04-02-2024