माँ भारती की आरती
मैं भी उतारूँगा, माँ भारती की आरती ।
वो कहते रहे हमें, मैं हूँ बड़ा शरारती ।।
जितना उनका हक है, मेरा भी है यहाँ ।
मैं जाऊँगा छोड़ के, वतन को कहाँ ।।
गाली देने वालों,जरा सोच समझ के बोल।
तू याद रखना, जरा ये दुनिया है गोल ।।
आज जो मेरे साथ हुआ, तो देख चुपचाप है ।
कल तेरे साथ होगा, क्यूँ करता बिलाप है ।।
दुसरों के दुःख में, हँसते हो तुम यहाँ ।
कल तेरे दुःख पे, हँसेंगे सब यहाँ ।।
आन पे जान लेना सीखो, आन पे जान देना ।
बेइज्जती सहकर मत सीखो तुम, छिपके घर में रहना ।।
सारी दुनिया है कमजोर, तो समझो मैं भी हूँ कमजोर ।
सारी दुनिया है मजबूत, तो समझो मैं भी हूँ मजबूत ।।
अहंकारी हो गये वो, अब दिखता नहीं करतूत ।
सब तो कपूत हो गये यहाँ पर, लेकिन मैं हूँ वीर सपूत ।।
मैं आन बान शान पर, मरना मिटना जानता हूँ ।
अपनी ताकत को यहाँ, बड़े अच्छे से पहचानता हूँ ।।
क्या मेरी कमजोरी है, क्या मेरी है ताकत ।
बहुत बड़े ज्ञानी हो तुम, इसलिये दिखाते हो शराफत ।।
खुद को ज्ञानी समझते हो क्या, बाकी हैं अज्ञान ।
तुम जो किया वो कुछ भी नहीं, हम किये तो संज्ञान ।।
राक्षस में जन्म नहीं लिया, हम भी एक इंसान ।
अब जैसा तुम समझते हो, मुझे वैसा ही पहचान ।।
सब तो कपूत हो गये यहाँ पे, मैं हूँ वीर सपूत ।
आखिर हमें ही देखकर क्यों, भाग जाते हैं बड़े बड़े भूत ।।
जितना तेरा हक है, उनका भी है यहाँ ।
वो जायेंगे छोड़ के, वतन को कहाँ ।।
बात मेरा मान जाओ, चरण वंदना कर रहा हूँ ।
बिगड़ ना जाये हालात कहीं, इसलिये समक्षा रहा हूँ ।।
जितना तेरा हक है, उनका भी है यहाँ ।
वो जायेंगे छोड़ के, वतन को कहाँ ।।
वो भी उतारेंगे, माँ भारती की आरती ।
हम भी उतारेंगे, माँ भारती की आरती ।।
सब कहते हैं हमें, मैं हूँ बड़ा शरारती ।
मैं खुद कबुल करता हूँ, मैं हूँ बड़ा शरारती ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 18/08/2020
समय – 12 : 57 ( रात्रि )