जीवन क्षणभंगुर
आया है तो , जाएगा जरूर ।
जीवन तो है यारा, क्षणभंगुर।
कौन जाने मौत कहां, कितनी दूर ?
जीवन तो है यारा , क्षणभंगुर ।
क्या है सपना ?क्या है अपना ?
सोचो तो , कुछ भी नहीं है ।
कल पास था जो, आज ना ।
सोचो तो , कुछ ना सही है ।
ये जाने सारी बातें, फिर भी मजबूर।
जीवन तो है यारा ,क्षणभंगुर ।।1
जब तक जिया ,नाना कर्म किया।
मानकर सदा जैसे , यही पे रहेंगे।
अंधेरा सच्चाई दिखे, बुझे जब दीया।
जानकर अंधेरे से,फिर क्यों डरेंगे ?
ढूंढे आंखें, रोशनी मांगे,दीवाना बेकसूर ।
जीवन तो है यारा, क्षणभंगुर।।2
(मनीभाई)