जीवन क्या है, पल पल, क्षण क्षण
जीवन क्या है, पल पल, क्षण क्षण
बारिश की बूंदों सा गिरता
नदिया, सागर बहता बहता
लहरों के आकार बनाता
बनता, बहता फिर मिट जाता
तन, मन में प्राणों में प्रतिपल
चिर वीणा का मधुरिम गुंजन
जीवन क्या है, पल पल ,क्षण क्षण।
हृदय कुसुम सा खिल खिल जाता
या यादों में घुल मिल जाता
मुदित हुआ या क्लांत हुआ मन
जीने की आशा बन जाता
कठिन मार्ग या सुगम डगर हो
रुकता फिर आगे बढ़ जाता
ना ही हास्य है, ना ही क्रंदन
जीवन क्या है, पल पल,क्षण क्षण।
डॉ विपिन शर्मा