जीवन को साकार कर
==== आज का गीत
जीवन को साकार कर
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हर तरफ है हां हां कार
ख़ामोश है सरकार
तू संभल
तू समझ
तू ना घर से बाहर जा
बाहर से अंदर आ जा
जीवन को साकार कर………
मत मिलों तुम अब गले
खत्म करो शिकवे गिले
हाथों को संभालिए
हाथ ना मिलाइए
हाथ जोड़ सभ्य बन
ज्यादा ना ऐसे तू तन
बनना ना ज्यादा निड़र.
खुद को ना बेजार कर
जीवन को साकार कर……….
है क़यामत विश्व पर
मौत बैठी अर्स पर
मुंह सभी के बंद है
हर तरफ ही द्वंद है
युद्ध स्वयं से हो रहा
अब बहुत कुछ खो रहा
जो बचा उसको बचा
छत से ले खुलकर हवा
जीवन का सत्कार कर
जीवन को साकार कर…………..
सब कुछ छीनता जा रहा
राजा खूब मुस्करा रहा
तुझपर सारी आफ़त है
वक्त की तेज बगावत है
अब जुर्माना भारी है
महामारी कब हारी है
तुझको डटकर लड़ना है
घर के अंदर रहना है
जीने से ना इंकार कर
जीवन को साकार कर……
सांस बंद हो रही
घुटन बहुत हो रही
पेड़ नहीं बचाएं थे
खूब शोर मचाएं थे
आक्सीजन अब कम हुई
हर तरफ घुटन हुई
डर से बुरा हाल है
बस दुआ की ढाल है
स्वयं को अब तू बचा
सागर ना तकरार कर
जीवन को साकार कर ………।।
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जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित
9149087291
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