जीवन को नया
जीवन को नया
खुद को खुद से ज्यादा खुद पर भरोसा है
नास्तिक हूँ इसीलिए दिखावट से परे हूँ
आडम्बर का रख बहाना चून , चापलुसी की चतुराई को
पतवार क्यो बनने दु अपने जीवन की नैया का
आसरा रख अपने मन पर विश्वास कर्म का अटल बना
निस्वार्थ सेवा से देख खुशी किसी गैर मन पर सकल बना
ऐशो आराम को रख परे मैं अपनी लगन के जोर को
पलतवार बना पार लगा रहा अपनी जीवन नैया को