*जीवन के संघर्षों में कुछ, पाया है कुछ खोया है (हिंदी गजल)*
जीवन के संघर्षों में कुछ, पाया है कुछ खोया है (हिंदी गजल)
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1)
जीवन के संघर्षों में कुछ, पाया है कुछ खोया है
हॅंसने वाला भी यह मन है, जो अक्सर ही रोया है
2)
अंतिम सॉंसों के आने तक, कभी चैन से मत बैठो
उसे सफलता नहीं मिली है, जो पल-भर भी सोया है
3)
पाप करोगे तो पापों का, संग्रह बढ़ता जाएगा
किसी नदी ने कभी किसी के, नहीं पाप को धोया है
4)
फूलों को देखो यह कितने, कोमल होते हैं फिर भी
सूई के धागे में खुद को, हॅंसते हुए पिरोया है
5)
बुरा काम करने से पहले, सौ-सौ बार विचार करो
देखो वह ही काटा सबने, जैसा जिसने बोया है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451