जीवन के मदिरालय में
सोम सुधारस पान करें हम,
जीवन के मदिरालय में l
झगड़े झंझट छोड़- छाड़ सब,
प्यार भरे मदिरालय में ll
तेरी चाहत में जग मिथ्या,
निज जीवन का मर्म यही l
छोड़ बोध इस जीवन का जब,
जाना तुझे मदिरालय में ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेशl