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18 Jun 2023 · 1 min read

जीवन के आधार पिता

जीवन के आधार पिता

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पिता धरोहर ,जीवन के आधार पिता

जीवन रूपी नैया के पतवार पिता !

तपती धर पर हैं शीतल जलधार पिता ,

कर्तव्यों को सदा निभाता प्यार पिता !

कभी खुशी तो कभी गमों में रहकर भी ,

छाया बनकर देते शीतल छांव पिता !

सख्त कभी लगते पर कोमल भीतर से ,

करते ऊर्जा का नूतन संचार पिता !

बच्चों की खातिर जीवन भर दौड़ रहा ,

करता पूरी हर छोटी सी चाह पिता !

खुद की खातिर नहीं कभी कुछ रखता है ,

कर देता अपना सब कुछ बलिदान पिता !

सच मानो तो एक सघन है वृक्ष पिता ,

जिसके साए में पलता परिवार पिता !

कभी किसी प्रतिफल की आशा किया नहीं ,

आजीवन करता बस अपना कर्म पिता !

नहीं समझता कोई उसकी कीमत को ,

जबतक रहते हैं अपनों के पास पिता !

“कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

1 Like · 2 Comments · 317 Views
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