जीवन के आधार पिता
जीवन के आधार पिता
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पिता धरोहर ,जीवन के आधार पिता
जीवन रूपी नैया के पतवार पिता !
तपती धर पर हैं शीतल जलधार पिता ,
कर्तव्यों को सदा निभाता प्यार पिता !
कभी खुशी तो कभी गमों में
रहकर भी ,
छाया बनकर देते शीतल छांव पिता !
सख्त कभी लगते पर कोमल भीतर से ,
करते ऊर्जा का नूतन संचार पिता !
बच्चों की खातिर जीवन भर दौड़ रहा ,
करता पूरी हर छोटी सी चाह पिता !
खुद की खातिर नहीं कभी कुछ
रखता है ,
कर देता अपना सब कुछ
बलिदान पिता !
सच मानो तो एक सघन है वृक्ष पिता ,
जिसके साए में पलता परिवार पिता !
कभी किसी प्रतिफल की आशा
किया नहीं ,
आजीवन करता बस अपना
कर्म पिता !
नहीं समझता कोई उसकी कीमत को ,
जबतक रहते हैं अपनों के पास पिता !