जीवन की समीक्षा पेज नं ०२
आवाज से ही सब अपनी मां को बताता है। मनुष्य इस धरती पर आने के बाद ही सब कुछ यहां से ही सीखता है।और यही पर छोड़
कर चला जाता है।पर जीवन की सच्चाई न तो माता-पिता बतातै है और न कोई गुरु । मनुष्य के प्रथम गुरु उसके माता-पिता ही होते हैं। लेकिन वे दैनिक उपयोग की चीजों के बारे में बतलाते हैं। कैसे खाना खाना है। कैसे कपड़े पहनते हैं। कैसे बात करते हैं।
इत्यादि।।।।।
निरन्तर