भागदौड़ भरी जिंदगी
जीवन की इस दौड़ में मची है आपा-धापी,
काल के इस चक्र से रहा न कोई बाकी ।
भा-गम-भाग भरे इस जीवन में,
सांस लेने की भी नहीं है फुरसत ।
समय नहीं हैं – समय नहीं है,
अब कितनी और है जरूरत।
इसको देखो उसको देखो किसी के पास समय नहीं है,
आखिर ये गया कहां है, जो किसी के पास नहीं है ।
कहते हैं कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में,
थकना मना है ।
अरे थकना मना क्यों न हो ?
क्योंकि थकने के लिये समय नहीं बना है ।
जिधर देखो उधर दौड़ती भीड़ नजर आती है,
फिर भी ये जिंदगी थमती सी नजर आती है ।
आपसी मेल मिलाप हो या भाई-चारा,
सिर्फ ऊपरी दिखाई पड़ते हैं।
एक-दूजे के लिये समय नहीं है,
फिर भी ये रिश्ते मजबूरी में निभाने पड़ते हैं ।
क्यों मजबूर है आज का इंसान,
मात्र दिखाबे के लिये ।
साजो-सामान जुटाने के लिये,
समाज में अपना फोकस दिखाने के लिये ।
बंद करो ये आपा-धापी,
चैन से सांस ले-ओ रे ।
मत भागो दुनिया के पीछे,
कुछ अपने लिये भी समय निकालो रे ।
इसको पकडो़ उसको बांधो,
कहीं हाथ से निकल न जाय ।
एक बार जो गया हाथ से,
का पाछै पछताय ।।