जीवन की जंग
मुसीबत क्या होती है, मैं जानकर आया हूं
दूध और पानी को आज छानकर आया हूं
आफ़त का दौर बहुत कुछ सिखा गया मुझे
अपने और परायों को, पहचानकर आया हूं
कुछ लोग कहते थे अब तो बरबाद समझो
आंखे खोलके देखो सीना तानकर आया हूं
जो मेरी तबाही पर, पूरे जश्न में सराबोर थे
आज मैं उन्हे अपनी टेंशन दानकर आया हूं
बहुत नास्तिक कहते हैं की ईश्वर कुछ नहीं
आजाद मंडोरी ईश्वर शक्ति मानकर आया हूं
– कवि आजाद मंडौरी