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20 Jul 2020 · 1 min read

जीवन की आपबीती

इस जीवन को जीते – जीते , ऐसे पल भी आ जाते है ।
जब अपनों से ही , आपबीती छुपाने लग जाते हैं ।।

लगता हैं, सुखो की स्मृतियां के बिखरे धांगो को बुन डालू ।
कुछ अपनी आपबीती , अपनों से सुना डालू ।।

तन खोया – खोया सा लगता हैं ।
कुछ खोया सा मिल जाता है ।।

मेरी भी सीमाएं है , कितना मै भी कह पाती ।
जितना भी कह डालू , उलझी – उलझी सी रह जाती ।।

यूं ही इस दिल में , बेचैनी से उढती है ।
मेरी भी सपनों की दुनिया , कहीं ना कहीं लुटती है ।।

जो भी आया था जीवन में , अकेला ही छोड़ गया ।
ढलती हुई इस दुनिया , कौन किसका हो गया ।।

जो भी इस जीवन में होगा , चलते – चलते सहना होगा ।
लडने बैठूंगी तो , जीवन को जीना मुश्किल होंगा ।।

Language: Hindi
8 Likes · 3 Comments · 682 Views
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