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27 May 2023 · 1 min read

जीवन का सफर

कुण्डलिया छंद
——————–
जीवन का जग में भला, सफर कहाँ आसान।
कदम कदम पर छल भरे, खड़े मिले इंसान।।
खड़े मिले इंसान, पराये हों या अपने ।
सपने पालें लाख, किंतु रहते हैं सपने ।
कहे ‘नवल’ कविराय, दुखी होता जब है मन।
तब लगता बेकार, हुआ यह मानव जीवन।।

– नवीन जोशी ‘नवल’

(स्वरचित)

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