जीवन का आधार पिता जी
** जीवन का आधार पिताजी **
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मेरे जीवन का आधार पिताजी
सदा करता रहूँ मैं सत्कार पिताजी
निज आमोद तज घरबार संभाले
परिवार के हैं कर्णधार पिताजी
सुबह से शाम तक पसीना बहाये
तन मन धन करें न्यौछावर पिताजी
फटी बनियान देख बचपन गुजारा
कभी नहीं करते श्रृँगार पिताजी
सुख,समृद्ध,खुशहाली घर में आवे
नये नये करें व्यापार पिताजी
जीवनसंगिनी का है साथ पाये
माँ की आँखों का सिंगार पिताजी
वक्त के थपेड़ों से भिड़ते रहते
सहते सदा समय प्रहार पिताजी
स्वर्णिम भविष्य सदैव संतान का
सुनहरे पल करते निसार पिताजी
मनसीरत के मन मन्दिर की मूर्त
सदैव देता दुलार प्यार पिताजी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)