जीवन का अभाव लिखती है
जीवन का अभाव लिखती है
कलम तो भाव लिखती है।
दुःख का उजागर करती
सरकस में नाहर करती
मन में छिपे बैचैनी को
आंसू बनके बाहर करती
आदमी का स्वभाव लिखती है
कलम तो भाव लिखती है।
कभी जीवन बचा लेती है
कभी फांसी चढ़ा देती है
कभी फूलों की हार देती
कभी हार से हरा देती है
अपना प्रभाव लिखती है
कलम तो भाव लिखती है।
टेढ़ी -मेढी रेखा की शुरुआत
बच्चा लिखता अपनी बात
जवानी के जगमगाते सपने
बुढ़ापे की सुनसान रात
जीवन का पड़ाव लिखती है
कलम तो भाव लिखती है।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर