जीवन एक प्रदर्शनी
जीवन एक प्रदर्शन का पर्याय बन जाये,
इस तरह जीवन, जो लोग जीवन जीते हैं, वे उदाहरण बन जाते है.
लेकिन बहुत बार उनका धरातल पर कुछ नजर नहीं आता,
वर्तमान समय प्रवचन सुनने और सुनाने का कतई नहीं है.
क्योंकि आजीविका अर्थात जीवन यापन करना अति मुश्किलों में हैं.
ईश्वर भगवान अल्लाह बिसमिल्लाह पीर पैगम्बर, कब तक आपके मनोबल इख्तियार करते रहेंगे. एक न एक दिन बुद्धि ठिकाने लगेगी, और पंथ,सम्प्रदाय सब टूट जायेंगे, धर्म वर्ण जाति व्यवस्था सब टूट जानी है.
जीवन का आधार अन्न है.
शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, जल,शुद्ध वायु चाहिए ही चाहिए,
व्रत,उपवास, मंत्रोच्चारण, आराधना, प्रार्थना, सब आपको एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंचा सकते,
यह सब विज्ञान की देन यातायात और संचार व्यवस्था , फिर भगवान त्रिदेव ब्रह्मा/विष्णु/महेश्वर कौन.
प्रकृति माहौल की व्यवस्था बिठाती है.
और जीव से जीवन का सृजन होता है,
पालन भी मनुष्य जीव स्वयं करता है.
अकार मृत्यु या इच्छा-मृत्यु भी मनुष्य जीव स्वयं अज्ञानवश करता है.
बुद्धि ही तरणतारत है.
कोई मूर्ख मूर्त अमूर्त कल्पना आपको विचलित नहीं कर सकती.
जब तक आप नहीं चाहे.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस