जीवन एक चुनौती है
जीवन एक चुनौती है ,
मैंने यह स्वीकार किया ।
पग-पग अंगारों पर चल ,
नव- प्रभात उजियार किया
जूझ रहा तन-मन जीवन
धूल- धूसरित नित काया ।
निरद्वंद्व श्वास चलते हैं,
कैसी यह अद्भुत माया ।
हार-हार कर जीने में ,
सुख- दुख का उपचार किया
जीवन एक चुनौती है ,
मैंने यह स्वीकार किया ।
दिया उसी ने जो पाया ,
फिर भी रहा हाथ खाली ।
तुच्छ समझ संघर्षों को ,
सशक्त गढ़ा मुझे माली ।
सह कर भीतर कष्टों को ,
शुभता का अभिसार किया ।
जीवन एक चुनौती है ,
मैंने यह स्वीकार किया ।
भूली अभिलाषा अपनी ,
औरों सुख अर्पण किया ।
खुद के जीवन का मैंने ,
दुख सागर विकर्षण किया
धूल समझ इस जीवन को
जन -मन लोकाचार किया ।
जीवन एक चुनौती है ,
मैंने यह स्वीकार किया ।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी,©®