जीवन आशा
जीवन के सुन्दर उपवन में मनुज तू माली सा है
बीज मेहनत से बोना सफलता के , क्यों खाली सा है
सजग होकर चलना तुम हर पथ पर निरन्तर
सागर सा विशाल हृदय तटिनी सी धार बनकर
रोक लेंगे तुझे क्या साजिशों के शूल यहां
पंथ की बाधा बनेंगे वैमनस्यता के पुल कहां
शान्त पड़े बेसुध नीरस अरमानो को जाग्रत कर
जीवन के नव प्रभात में उन्माद भरा अनुराग भर
जीवन की नैया को सुख दुःख की नौकाओं से पार कर
आज पुनः उजड़े हुए मन मे एक नया विश्वास भर
विषमताओं का जाल बने कोहरा या अन्धकार हो घना
दिनकर सा तेज भर कर जीवन में निखर आना सदा