जीवन – अस्तित्व
नियति का चक्र उदय से अस्त तक ,
प्रादुर्भाव से अवसान तक,
उत्पत्ति से परिवर्तन के आयामों से घटित होता हुआ विनाश की अधोगति तक ,
जीवों के उद्भव एवं जीवन चक्र में गतिमान होता हुआ विभिन्न रूपों में संरचित होने तक ,
आदि से अनंत के प्रयाण श्रृंखला के
निष्पादन तक,
आत्मा से परमात्मा में विलय होने की
प्रक्रिया समापन तक,
जीवन के आरंभ से परिवर्तन के विभिन्न चरणों से होता हुआ अंत तक,
सृष्टि आविर्भाव , पर्यावरण निर्माण एवं जीवन-अस्तित्व को परिभाषित करता रहेगा ।