जीभ पर दोहे
1
दाँत चबाते ही रहें, जीभ उड़ाये स्वाद
रहकर इनके बीच भी, रहती हरदम शाद
2
जीभ फिसल जाये नहीं, इसका रखना ध्यान
लिखे हुये इतिहास में, कितने जीभ पुरान
3
आती है अब तो हँसी, बचपन को कर याद
जीभ चिढ़ाकर कर दिए , कितने वाद-विवाद
4
जीभ बनाती है हमें, दुश्मन या फिर मीत
लेते हैं मीठे वचन, सबके दिल को जीत
5
लपलपाकर कर रही, जिव्हा जैसे योग
बेकाबू सी हो गई, ,देखे छप्पन भोग
22-12-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद