जीने में यही एक गम है।
बस जीने में यही एक गम है।
साथ होकर नही एक हम है।।1।।
बात है हम दोनो में अना की।
वर्ना इश्क दोनों में ना कम है।।2।।
मैं जानता हुं सब मेरे महबूब।
दुआओं में तेरी केवल हम है।।3।।
चाहत में कोई हमसा नहीं है।
अपनी वफा नही कुछ कम है।।4।।
आ मिलके जी ले जिंदगी को।
बांटले जितने भी मिले गम है।।5।।
अपने घर को जन्नत बनाते है।
मै और तुम बनके अब हम है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ