जीने को तेरी एक याद काफी है
जीने को तेरी बस एक याद काफी है
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जीने को तेरी बस एक याद काफी है,
मिलोगे कभी तुम यही मुराद काफ़ी है।
ख्वाबों में अपने सजाया है तुझको,
कुछ भी गवारा तुम बिन नहीं है हमको,
मुक्कमल हो आस फ़रियाफ काफी है।
जीने को तेरी बस एक याद काफ़ी है।
हवा के झरोखों संग बुलाऊँ मैं तुमको,
बाँहों के झूलों में झुलाऊँ मैं तुमको,
तारों भरी रात में एक बात काफ़ी है।
जीने को तेरी बस एक याद काफ़ी है।
तू परियों की रानी मैं फूलो का राजा,
बनकर मोहब्बत जरा दिल मे समा जा,
पल दो पल ही सही संवाद काफ़ी है।
जीने को तेरी बस एक याद काफ़ी हैं।
डोली सजा कर घर – आंगन में लाऊं,
तू ही मेरी दुनिया संग खुशियाँ मनाऊँ,
अरमानो भरा हमारा निषाद काफ़ी है।
जीने को तेरी बस एक याद बाकी है।
सीने में दफ़न मनसीरत सारे राज हैं,
वो तेरे मेरे लम्हें यूँ ही जिंदा आज हैं,
दरमियां अपने मधुरिम नाद काफ़ी हैं।
जीने को तेरी बस एक याद बाकी हैं।
जीने को तेरी बस एक याद काफी हैं।
मिलोगे फिर तुम यही मुराद काफ़ी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)