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10 Jun 2023 · 1 min read

जीने की राह

जीवन के विस्तीर्ण फलक पर,चित्र उकेरे कई मगर,
रंग जो उनमें भरना चाहा ,भर न सकी मैं चाहकर ,

माना सृजन नहीं है आसां, दृढ़ प्रयास करना होगा,
जब तक न मिलेगी मंजिल मुझको, अनवरत चलना होगा।

कुम्हलाए, मुरझाए पत्तों को, पुनः स्फूर्त करना होगा,
कुसुमित नई भावनाओं से गीत नया रचना होगा.

राह जो पीछे छूट गई है,क्या भूलूं क्या याद करूं,
कर्मभूमि जो आगे दिखती, क्यों न उसे अंक में लूं।

जीने की जब राह मिली है,क्यों मुड़कर पीछे देखूं.
इंद्रधनुषी रंगों से मैं, क्यों न भला दामन भर लूं।

Language: Hindi
1 Like · 250 Views
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