जीने की आस बाकी है
*** जीने की आस बाकी है ***
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चले आओ अभी सांस बाकी है,
जीवन जीने की आस बाकी है।
खड़ी राधा रानी युमना किनारे,
कृष्ण लीला का रास बाकी है।
समाये हो ख्यालो में ख्वाबों में,
तेरी होंद का आभास बाकी हैं।
बसे हो मन मंदिर की सांसों में,
दो जिस्मों का निवास बाकी है।
मिलो दो पल कहीं कानन में,
ख्वाइशों का हो नाश बाकी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)