जीने का सलीका आ गया है।
सब कुछ खोकर अब तरीका आ गया है।
हम को भी जीने का सलीका आ गया है।।1।।
हमको गमों को देकर जो यूं चला गया है।
वो खुश है जो अपना हमनवां पा गया है।।2।।
क्या बद्दुआ दे हम उन्हें जिनको चाहा है।
पर वो ज़ालिम हमें कबका भुला गया है।।3।।
जहन उनको चाहके भी ना भुला पाया है।
जो बेवफा चैन ओ सुकू हमारा लें गया है।।4।।
आज भी दिल हमारा बस यही चाहता है।
खुश रहें कातिल हमारा ये दुआ मांगता है।।5।।
मुद्दतों बाद आज महफ़िल में वो दिखा है।
आज भी हुस्न उसका कयामत ढा रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ