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31 Jan 2021 · 1 min read

जीने का अंदाज

वह
न बोलो तो
नाराज
जब कभी बोलो तो
और ज्यादा नाराज
कितनी भी हमदर्दी जताओ
मीठा बोलो
उन्हें हर शब्द
एक नीम के पत्ते सा
कड़वा ही लगे
कुछ भी गलत न कहने पर भी
उसे गलत ही समझना
गलत ही साबित करना
सबके समक्ष गलत तरीके से प्रस्तुत करना
किसी भले इंसान की
गलत छवि गढ़ना
लगता है
यह आदत अब पक
चुकी है
बदलेगी नहीं
खफा रहना
शिकायतें करते रहना
यह सब जीने का अंदाज बन
चुका है
पेड़ बूढ़ा हो चला है
इस पर लगा उम्र का फल
पक चुका है
पेड़ से यह खुद टूट कर
जमीन पर गिरेगा पर
इल्जाम दूसरे पर मड़ेगा
कोई कितना भी पुण्य कर ले
ऐसी बीमार मानसिकता वाले
लोगों का भला करके
बहुमूल्य समय व्यर्थ होगा
और किसी भले मानस के सिर
पाप ही चढ़ेगा।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
246 Views
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