जीना सीख लिया है।
बे-रंग नहीं रहेगी अब ज़िंदगी…
मैंने रंग बदलना सीख लिया है
कंटीले रास्तों पर चलते-चलते
गिरकर संभलना सीख लिया है
धूर्तो से भरी परिवेश में हमने भी
थोड़ी बहुत धूर्तता सीख लिया है
बड़ो बड़ो को गिरता-नीचता देख
खुद को बड़ा समझना सीख लिया है
ज़ख़्म नासूर न बन जाए हमेशा के लिए
तभी तो मरहम को मलना सीख लिया है
ग़म से भरी हैं पलकें तो क्या
नमी ने पिघलना सीख लिया है
तुम मुझे करो तिरस्कार इससे पहले
मैंने नीयत को पढ़ना सीख लिया है
टूटता नहीं अब कांच के टुकड़ों की तरह
क्योंकि मैंने हिम्मत कर…चलना सीख लिया है
देख ली है मैंने भी दुनिया बहुत
अब इंसान परखना सीख लिया है
जीवन में क्षण-प्रतिक्षण रंग बदलते लोग
देख,
हमने भी जीने का ढंग सीख लिया है