जीना मुश्किल है
जीना मुश्किल है (ग़ज़ल)
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जीना हिज्र में मुश्किल है,
पीना जहर भी मुश्किल है।
अब खूब घटनाएं घटती,
रहना शहर में मुश्किल है।
आंधी चली है जोरों पर,
पंछी शजर में मुश्किल है।
कटता नहीं पल-पल जग में,
मरना पहर में मुश्किल है।
खग हैं तरसते जलकण को,
पानी नहर में मुश्किल है।
गिरते कहीं नजरों से जो,
उठना नज़र में मुश्किल है।
गमगीन मनसीरत रोया,
मातम जिगर में मुश्किल है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)