“जीना मरना”
तुमने तो धकेल दिया
मुझे इक गम की खाई में,
जीना मरना हुआ मुश्किल
अब तो तन्हाई में,
मैं पूरी नींद सो न सकी
मैं खुल कर रो न सकी
भटकती रही यहां वहां
तेरी बेवफाई में,
जीना दुश्वार हुआ
मुझे तुमसे ही क्यों प्यार हुआ ?
तुम तो ठहरे हरजाई
बेवफा ओ में तू भी शुमार हुआ
तुमने तो धकेले दिया
मुझे एक गम की खाई में
जीना मरना मुश्किल
अब तो तन्हाई में,
रीता यादव