जीना चाहिए
जिंदा तो सब रहते है जीना चाहिए।
गम हो या खुशी, ये आते जाते हैं।
इनके हर पहलू को देखो समझो,
मिला हैं जीवन ये जीने के लिए।
आसुओं को हंसकर पीना चाहिए,
जिंदा रहना सीखो जिंदादिली से।
मुश्किल से टकराके बढ़ना चाहिए,
खूब खुशियां बांटते रहना चाहिए।
कर्त्तव्यों को पूरा करना है जरुरी,
जिंदगी से भाग के न छोड़ों अधूरी।
फूलों के संग देखो होते कांटे हैं,
खुशबू से इनकी गुलशन रोशन है।
कांटो के संग भी फूल जैसा बनना,
खुशबु अपनी गुलशन में बिखेरो।
इंसानियत का राग बहना चाहिए,
जिंदा तो सब रहते हैं जीना चाहिए।
आए हो दुनियां में जीकर दिखाओ,
खुद को कभी नजरों में न गिराओ।
हिम्मत की मशाल जलना चाहिए,
जिंदा तो सब रहते है जीना चाहिए।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश