Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

जीत मुश्किल नहीं

मजबूत हो इरादा तो जीत मुश्किल नहीं
मान जाओ ,आते दुख मुसलस्ल नहीं

बात होती अपनी तो कोई बात नहीं थी
भीड़ कभी निकालती मसालों के हल नहीं

धूप में कोई दो कदम साथ नहीं देता
चांदनी के साए में चले वो दो पल नहीं।

अपनी मक्कारियां को जितना भी छुपा तू
खुदा से मगर ,तू कर सकता कोई छल नहीं

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all
You may also like:
कविता के मीत प्रवासी- से
कविता के मीत प्रवासी- से
प्रो०लक्ष्मीकांत शर्मा
कोरोना और पानी
कोरोना और पानी
Suryakant Dwivedi
पहले एक बात कही जाती थी
पहले एक बात कही जाती थी
DrLakshman Jha Parimal
जीतना अच्छा है,पर अपनों से हारने में ही मज़ा है।
जीतना अच्छा है,पर अपनों से हारने में ही मज़ा है।
अनिल कुमार निश्छल
3160.*पूर्णिका*
3160.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
पं अंजू पांडेय अश्रु
संगीत........... जीवन हैं
संगीत........... जीवन हैं
Neeraj Agarwal
ऐ वतन
ऐ वतन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
Subhash Singhai
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मेरी शक्ति
मेरी शक्ति
Dr.Priya Soni Khare
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
"जलाओ दीप घंटा भी बजाओ याद पर रखना
आर.एस. 'प्रीतम'
किताबों वाले दिन
किताबों वाले दिन
Kanchan Khanna
#सच्ची_घटना-
#सच्ची_घटना-
*प्रणय प्रभात*
आजकल गजब का खेल चल रहा है
आजकल गजब का खेल चल रहा है
Harminder Kaur
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
Abhishek prabal
*चंद्रशेखर आजाद* *(कुंडलिया)*
*चंद्रशेखर आजाद* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"" *एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य* "" ( *वसुधैव कुटुंबकम्* )
सुनीलानंद महंत
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
Neelam Sharma
एक शे'र
एक शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
समय
समय
नूरफातिमा खातून नूरी
बाबा भीम आये हैं
बाबा भीम आये हैं
gurudeenverma198
जब लोग आपसे खफा होने
जब लोग आपसे खफा होने
Ranjeet kumar patre
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
Arvind trivedi
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
कवि दीपक बवेजा
मेरे आदर्श मेरे पिता
मेरे आदर्श मेरे पिता
Dr. Man Mohan Krishna
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...