Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2019 · 1 min read

जीत का यह जश्न देख ख्वाब मुस्कुराए हैं -:

टूटी सी उम्मीदो ने फ़िर दिए जलाए हैं।
कर्म की इन बस्तियों में गांव फिर बसाए हैं।
फिर से मेरी आंखों ने नव स्वप्न सजाए है
फिर से मेरे चित्त में यह भाव उभर आए हैं।
फिर से इन परिंदों ने पंख नए पाए हैं।
गाते -गाते गीत नए आसमां पर आए हैं।
गुजार कर हसीन वर्ष नव वर्ष में आए हैं।
हम नव वर्ष में आए हैं।
सर्द रात है ज़रा ,है बड़ी कठिन डगर।
सहमी सी है हर दिशा, सहमे -सहमे हैं सज़र।
मुस्कुराती धीमे-धीमे उस सुबह पर मेरी नजर।
खूबसूरत आंखों ने चित्र वो सजाए हैं।
टूटी सी उम्मीदो ने फिर दिए जलाए हैं।
कर्म की इन बस्तियों में गांव फिर बसाए हैं।
गुजार कर हसीन वर्ष नव वर्ष में आए हैं।
हम नव वर्ष में आए हैं।
यूं तो और एक वर्ष जिंदगी का कम हुआ।
पर मेरे तजुर्बे में एक वर्ष और जुड़ा।
बीते पूरे वर्ष का हर शमा हसीन था।
विषाद युक्त क्षण भी मुझको वहां मिला है सीख का।
कुछ जुड़ी हैं खट्टी- मीठी यादें हार जीत का।
रेखा गुन – गुना रही है फिर गीत अपनी जीत का।
जीत का यह जश्न देख ख्वाब मुस्कुराए हैं।

1 Like · 284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अक्सर मां-बाप
अक्सर मां-बाप
Indu Singh
शुभ रक्षाबंधन
शुभ रक्षाबंधन
डॉ.सीमा अग्रवाल
ये पल आएंगे
ये पल आएंगे
Srishty Bansal
सुना है हमने दुनिया एक मेला है
सुना है हमने दुनिया एक मेला है
VINOD CHAUHAN
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !
(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !
Kishore Nigam
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
आईना ने आज़ सच बोल दिया
आईना ने आज़ सच बोल दिया
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
मेरी बिटिया
मेरी बिटिया
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Ram Krishan Rastogi
कश्मकश
कश्मकश
swati katiyar
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
Paras Nath Jha
कौन पढ़ता है मेरी लम्बी -लम्बी लेखों को ?..कितनों ने तो अपनी
कौन पढ़ता है मेरी लम्बी -लम्बी लेखों को ?..कितनों ने तो अपनी
DrLakshman Jha Parimal
,,........,,
,,........,,
शेखर सिंह
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
Ajay Kumar Vimal
*पंचचामर छंद*
*पंचचामर छंद*
नवल किशोर सिंह
शिवरात्रि
शिवरात्रि
Madhu Shah
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
Sonu sugandh
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
Neelam Kumari
■ आज का #दोहा...
■ आज का #दोहा...
*प्रणय प्रभात*
सत्य बोलना,
सत्य बोलना,
Buddha Prakash
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
Rj Anand Prajapati
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
भाई
भाई
Kanchan verma
*एक (बाल कविता)*
*एक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
"राजनीति"
Dr. Kishan tandon kranti
संगीत................... जीवन है
संगीत................... जीवन है
Neeraj Agarwal
अनचाहे फूल
अनचाहे फूल
SATPAL CHAUHAN
Loading...