जीत का जश्न
गुस्से में जीत का जब जश्न तुम मनाती हो,
वक्र अधरों के बीच जब भी मुस्कराती हो |
लालिमा कपोलों की बहुत कुछ कह जाती,
शब्दों मे कभी नहीं जो कुछ कह पाती हो||
़़़़़़़़़ अशोक मिश्र
गुस्से में जीत का जब जश्न तुम मनाती हो,
वक्र अधरों के बीच जब भी मुस्कराती हो |
लालिमा कपोलों की बहुत कुछ कह जाती,
शब्दों मे कभी नहीं जो कुछ कह पाती हो||
़़़़़़़़़ अशोक मिश्र