जिहादमुक्त विश्व हो अपना !
जिहादमुक्त विश्व अपना !
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आओ! आओ !
तुम भी आओ !!!
मोमीन ! बरसा लो पत्थर ,
दिशाहीनता में खूब अकडकर !
आग लगा लो कलियों में ,
भारतवर्ष की गलियों में !
संरक्षण दो हत्यारों को ,
और जिहादी नारों को !
रेल-सड़क-मन्दिर सबकुछ तोड़ो ,
भारत का खाकर मुख मोड़ों।
विस्फोटों गोलों से लूटो-खेलो ,
तलवारों के बल पर बोलो !
ओ मूर्ख-पतित-निर्लज्ज-पापी ,
विधर्मी ,कुटिल, कायर, सत्यानाशी !
प्रतिक्रिया को तुम भी सहना ,
जिहादमुक्त हिन्दूराष्ट्र विश्व अपना ।
✍? आलोक पाण्डेय ‘विश्वबन्धु’