जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली
जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली
मैने छुआ यूं तितलियों को बिजलियां गिरी
वो रंग ~बिरंगी थी ~कहर ढाती इस कदर
उनका~ गुरूर देखकर~ में भी था बेखबर
कृष्णकांत गुर्जर
जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली
मैने छुआ यूं तितलियों को बिजलियां गिरी
वो रंग ~बिरंगी थी ~कहर ढाती इस कदर
उनका~ गुरूर देखकर~ में भी था बेखबर
कृष्णकांत गुर्जर