जिस पनघट के नीर से, सदा बुझायी प्यास
जिस पनघट के नीर से, सदा बुझायी प्यास ।
उसका भूले से कभी, …मत करिए उपहास ।।
कहाँ मिली हैं खूबियाँ, …सभी किसी के पास ।
फिर क्यों हम कमजोर का, करते हैं उपहास ।।
रमेश शर्मा
जिस पनघट के नीर से, सदा बुझायी प्यास ।
उसका भूले से कभी, …मत करिए उपहास ।।
कहाँ मिली हैं खूबियाँ, …सभी किसी के पास ।
फिर क्यों हम कमजोर का, करते हैं उपहास ।।
रमेश शर्मा