जिस नारी ने जन्म दिया
जिस नारी ने जन्म दिया उसकी कोंख लजाते क्यों
जिस ऑ॑चल में बचपन बीता उसी से मुॅ॑ह छिपाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………
शर्म हया काफूर हुई सब लाज रही ना यहां वहां की
बैठ महफ़िलों में अक्सर लड़की की बात चलाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………
माना मैं कड़वा बोल रहा हूॅ॑ पर सच्चाई तोल रहा हूॅ॑
देख कहीं भी सुंदर नारी अरे ऑ॑खें गोल घुमाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………
हर घर माॅ॑ बहन और बेटी पर ये भेद कहाॅ॑ से सीखा
राह चलते यूं दूजे घर की इज्जत पे ऑ॑ख उठाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………
प्यार में धोखा देता आदमी औरत बेहया कहलाती है
रोज नए पहलू में जा कर अपना दिल बहलाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………
वायदे करके झूठे-सच्चे खेल खेलते हो मासूमों संग
मिटा हवश की आग उन्हें छोड़ सड़क पर जाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………
‘V9द’ सिखा मत पाठ यहां वे तुझसे ही उलझ जाएंगे
ऑ॑ख दिखाकर कहेंगे तुमसे जाओ ज़ुबां लड़ाते क्यों
जिस नारी ने जन्म दिया……………