जिस नारी ने जन्म दिया
जिस नारी ने जन्म दिया है उसकी कोंख लजाते क्यों हो
जिस आँचल में बचपन बीता उसी से मुँह छिपाते क्यों हो
शर्म हया काफूर हुई सब लाज रही ना कोई यहाँ वहाँ की
बैठ मण्डलियों में अक्सर लड़की की बात चलाते क्यों हो
जिस नारी ने जन्म दिया…..…….……..
माना मैं कड़वा बोल रहा हूँ पर सच्चाई को तोल रहा हूँ
देख राह में कोई सुंदर नारी मन ही मन मुस्काते क्यों हो
जिस नारी ने जन्म दिया………………
प्रेम में धोखा देता आदमी औरत ही बेवफा कहलाती है
मन भर जाता जब प्रेम से छोड़ सड़क पर जाते क्यों हो
जिस नारी ने जन्म दिया…..………….
हर घर में माँ बहन और बेटी परंतु ये भेद कहाँ से सीखा
राह चलते यूँ दूजे घर की ईज्जत पे आँख उठाते क्यों हो
जिस नारी ने जन्म दिया………………
“विनोद”सीखा मत पाठ यहाँ तूँ तुझसे ही ये उलझ जाएंगे
आँख दिखा बोलेंगे तुमसे अरे जाओ जुबाँ लड़ाते क्यों हो जिस नारी ने जन्म दिया………………