जिस तरह से शिकारी निशाना फेंकते हैं
इस तरह से वो नए कबूतर को दाना फेकते हैं
जिस तरह से शिकारी निशाना फेकते हैं
मेरे शहर में अब भी कुछ बच्चे भूख से मर जाते हैं
मैंने सुना है तुम्हारे शहर में लोग खाना फेकते हैं
इस कदर डिलीट कर दिया है उसने हमें अपनी प्रोफाइल से
जिस कदर लोग सामान पुराना फेकते हैं
जिन लोगों को गजल तो छोड़िए शायरी तक नहीं आती
वो लोग भी महफिल में आकर अंदाज ए शायराना फेकते हैं
परखच्चे उड़ा दिए हैं उसने हमारे जज्बातों के
हम भी तनहा उसकी यादों का खजाना फेंकते हैं