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8 Mar 2019 · 1 min read

जिस जगह पूज्य होती नारी, उस जगह देवता बसते हैं

नारी ही तो जननी सबकी, उससे ही जीवन पाया है
उसने पयपान कराकर ही, हमको बलवान बनाया है
वह जननी है, वह भगिनी है, सहचरिणी है, पुत्री भी है
निज प्रेम और निज करुणा से उसने संसार चलाया है।

उस नारी को तुम आज जन्म लेने से पहले मार रहे
निज अहंकार, निज दानवता से मानवता को मार रहे
नारी विहीन ये सृष्टि भला, कितने बरसों चल पाएगी
तुम आज मार कर नारी को, आने वाला कल मार रहे

नर नारी के संयोजन से ही सृजन सदा होता आया
रथ के दो पहियों जैसे हैं, नर नारी ये सुनता आया
यदि एक चक्र रुक जाता है, तो सफर वहीं रुक जाता है
फिर भी नारी को ये समाज, नित अपमानित करता आया

हम अहंकार में नारी पर सामाजिक बंधन कसते हैं
हम राहु बने अवसर पाकर, उसकी आजादी ग्रसते हैं
हम अहंकार में अँधे हैं, पर ये क्यों भूले बैठे हैं
जिस जगह पूज्य होती नारी, उस जगह देवता बसते हैं।

ऐ मानव अब तो हो सचेत, मत नारी का अपमान करो
उसको कुलक्षिणी कह कह कर, निज कुल का मत संधान करो
वह गृह लक्ष्मी है, किन्तु तुम्हें आराध्य मानती रहती है
उस शक्ति स्वरुपा नारी का, प्रतिपल प्रतिक्षण सम्मान करो

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
08.03.2019

Language: Hindi
1 Like · 220 Views
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